Indian unity: जिसकी जितनी संख्या भारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी’ के नारे से वोट बैंक की फसल अच्छी कटती है, लेकिन जाति जनगणना पर अमल के लिए कई सांविधानिक व सामाजिक चुनौतियों से जूझना होगा। साथ ही, विभाजक शक्तियां प्रबल होंगी, जिससे एआई के युग में भारत अपनी जनसांख्यिकी के लाभ से वंचित रह सकता है।
वर्ष 1965 में पाकिस्तानी हमले के खिलाफ देशवासियों को एकजुट करने के लिए प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने एक वक्त का भोजन त्याग के साथ ‘जय जवान जय किसान’ का अमर नारा दिया था, लेकिन पहलगाम में पाकिस्तानी हमले के बाद पक्ष-विपक्ष के नेता धर्म और जाति के वोट बैंक की सियासत में मग्न हैं। राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने अप्रैल, 2021 में जनगणना में जातियों का डाटा इकट्ठा करने की बात सरकार से कही थी, लेकिन जुलाई 2021 में केंद्र सरकार ने संसद में बताया कि जातिगत जनगणना कराने का कोई इरादा नहीं है। उसके बाद नवंबर, 2023 में विकसित भारत की संकल्प यात्रा में प्रधानमंत्री मोदी ने गरीब, महिला, किसान और युवा चार जातियों का जिक्र किया था। प्रवासी श्रमिकों से जुड़े मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत की पीठ ने भारत में गरीबों की बढ़ती आबादी पर हैरानी जताई है।
अंग्रेजों ने फूट डालो और राज करो की नीति से भारत में धर्म और जातियों के विभाजन को बढ़ावा दिया था। साल 1901 की जनगणना में 1,646 और साल 1931 की जनगणना में कुल 4,147 जातियों की संख्या बताई गई थी। साल 1931 की जनगणना के अनुसार, 52.4 फीसदी ओबीसी, 22.6 फीसदी अनुसूचित जाति/जनजाति, 17.6 फीसदी अगड़ी जातियां और 16.2 फीसदी अल्पसंख्यक समुदाय के लोग थे। मंडल कमीशन की रिपोर्ट अविभाजित भारत के 50 साल पुराने इन्हीं आंकड़ों पर आधारित थी। ‘जिसकी जितनी संख्या भारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी’ के नारे से वोट बैंक की फसल अच्छी कटती है, इसलिए जातिगत जनगणना के मुद्दे पर सभी दलों के नेता उत्साहपूर्ण तरीके से सहमत हैं।
16वीं जनगणना के लिए निर्धारित फॉर्म में बीसवां नया कॉलम बढ़ाने और 2011 की अप्रकाशित रिपोर्ट की गलतियों से बचने के लिए केंद्र सरकार को राज्यों के साथ मिलकर जातियों व उपजातियों की लिस्ट को अंतिम रूप देना होगा। इस प्रक्रिया में विपक्ष शासित राज्यों से समुचित विमर्श से जाति के नाम पर सामाजिक असंतोष को भड़काने वाली ताकतों को नियंत्रित रखना बड़ी चुनौती होगी। मुस्लिम समुदाय के लोगों को ईडब्ल्यूएस के साथ कई राज्यों में ओबीसी आरक्षण का लाभ मिलता है। जनगणना में मुस्लिम समुदाय में जातियां के सर्वे पर भी कानूनी विवाद हो सकते हैं।