Jamshedpur: श्रावणी मेले के तीसरे दिन बाबा नगरी देवघर पूरी तरह से शिवमय हो गई. सुल्तानगंज से गंगाजल लेकर पहुंचे कांवरियों ने पूरे शहर को गेरुआ भक्ति में रंग दिया. चारों ओर ‘हर-हर महादेव’ के जयघोष गूंजते रहे और पूरा कांवरिया पथ शिवभक्ति से सराबोर दिखाई दिया. रविवार को बाबा बैद्यनाथ मंदिर में कुल 1,53,394 श्रद्धालुओं ने जलार्पण किया. सुबह 3:05 बजे मंदिर के पट खोले गए, जिसके साथ ही पुरोहित समाज द्वारा कांचा जल पूजा और फिर पुजारी विनोद झा द्वारा दैनिक सरदारी पूजा संपन्न की गई. सुबह 4:00 बजे से आम कांवरियों के लिए जलार्पण प्रारंभ हो गया.
जलार्पण शुरू होने से पहले ही बरमसिया चौक तक श्रद्धालुओं की लंबी कतारें लग चुकी थीं. जलार्पण प्रारंभ होते ही भीड़ तेजी से बढ़ने लगी और कुछ ही घंटों में लाइन चिल्ड्रेन पार्क तक पहुंच गई. रविवार को भक्तों की कतार लगभग 5 किलोमीटर लंबी रही. मुख्य अरघा से 1,09,856 और बाहा अरघा से 43,538 कांवरियों ने बाबा को जल अर्पित किया. पूरे रूटलाइन को स्पाइरल सिस्टम के माध्यम से व्यवस्थित रूप से संचालित किया जा रहा है. भीड़ नियंत्रण के लिए भारी संख्या में पुलिस बल, दंडाधिकारी और स्वयंसेवक तैनात हैं. जगह-जगह पेयजल, छांव और चिकित्सा शिविरों की भी व्यवस्था की गई है. श्रद्धालुओं को मानसरोवर हनुमान मंदिर से होकर, नेहरू पार्क पंडाल, क्यू कॉम्प्लेक्स, ओवरब्रिज और संस्कार मंडप से होते हुए गर्भगृह तक ले जाया जा रहा है.
सोमवार को पहली सावन सोमवारी है, ऐसे में अनुमान है कि 2 लाख से अधिक कांवरिए जलार्पण करेंगे. रविवार दोपहर बाद से ही श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ने लगी थी. वहीं, डाक कांवरियों का बाबा नगरी में आना भी शुरू हो गया है और सोमवार तक करीब 5,000 डाक कांवरियों के पहुंचने की संभावना है.
लेजर शो से मंदिर के गुंबद पर उभरे बाबा बैद्यनाथ के रूप
श्रावणी मेले 2025 में इस बार श्रद्धालुओं को केवल धार्मिक आस्था का अनुभव ही नहीं, बल्कि तकनीक और संस्कृति के अद्भुत संगम की झलक भी देखने को मिल रही है. देवघर के डीसी नमन प्रिवेश लकड़ा श्रद्धालुओं की सुविधा और अनुभव को बेहतर बनाने के लिए हर पहलू पर विशेष ध्यान दे रहे हैं. इसी क्रम में सूचना एवं जनसंपर्क विभाग द्वारा बाबा बैद्यनाथ मंदिर के गुंबद पर लेजर मैपिंग लाइट शो का आयोजन किया जा रहा है, जो कांवरियों और दर्शनार्थियों के लिए एक प्रमुख आकर्षण बन चुका है. रंग-बिरंगी रोशनी और शिव भक्ति से सजे इस दृश्य ने बाबा की नगरी को एक सांस्कृतिक महोत्सव का रूप दे दिया है.
रात के समय जब पूरा शहर रोशनी में नहाया हुआ होता है, उस समय मंदिर प्रांगण में चल रहा यह लेजर शो श्रद्धा और विज्ञान का अनूठा संगम प्रस्तुत करता है. बाबा वैद्यनाथ के विभिन्न स्वरूपों को जब मंदिर की दीवारों पर सजीव रूप में दर्शाया जाता है, तो श्रद्धालु मंत्रमुग्ध हो उठते हैं. इस शो में दिखाई जाने वाली झलकियां बाबा की महिमा और पौराणिक गाथाओं को संगीतमय अंदाज़ में दर्शाती हैं, जिससे श्रद्धालुओं को एक आध्यात्मिक और दृश्यात्मक आनंद की अनुभूति होती है. जिला और मंदिर प्रशासन द्वारा की गई यह पहल न सिर्फ भक्ति को और गहराई देती है, बल्कि श्रावणी मेले के अनुभव को भी नई ऊंचाइयों पर ले जाती है.