सरायकेला: खरसावां-आमदा मार्ग पर हुए सड़क हादसे में दो युवकों की मौत ने स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली की पोल खोल कर रख दी है। इस घटना ने न सिर्फ चिकित्सा व्यवस्था की कमजोरी को उजागर किया, बल्कि ग्रामीणों को सरकार की स्वास्थ्य सुविधाओं पर गंभीर सवाल उठाने पर भी मजबूर कर दिया है।
मंगलवार को सरायकेला-खरसावां के उपायुक्त नीतीश कुमार सिंह के निर्देश पर जिले के सिविल सर्जन डॉ. सरयू प्रसाद राय खरसावां सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे और वहां की व्यवस्था का निरीक्षण किया। उन्होंने रविवार रात ड्यूटी पर मौजूद न रहने वाले चिकित्सक कन्हैयालाल उरांव से स्पष्टीकरण मांगते हुए उन्हें शोकॉज नोटिस जारी किया। साथ ही अस्पताल की चिकित्सा प्रभारी डॉ. वीरांगना सिंकु को निर्देश दिया कि चिकित्सकों की उपस्थिति हर हाल में सुनिश्चित की जाए और ड्यूटी को तीन शिफ्ट में विभाजित किया जाए।
सिविल सर्जन डॉ. राय ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान बताया कि रविवार शाम करीब 7:30 बजे हुए सड़क हादसे में दो युवक गंभीर रूप से घायल हो गए थे। उन्हें प्राथमिक उपचार के लिए खरसावां सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लाया गया, लेकिन वहां चिकित्सक मौजूद नहीं थे। नतीजतन, घायलों को दूसरे अस्पताल में भेजना पड़ा, जहां रास्ते में उनकी मौत हो गई।
सड़क हादसे में ऐसे गई दो युवाओं की जान
बीते रविवार शाम लगभग 7 बजे, खरसावां-आमदा मार्ग पर बोड्डा स्थित जाहेर स्थान के पास एक अज्ञात वाहन की टक्कर से दो बाइक सवार गंभीर रूप से घायल हो गए। घायलों की पहचान खरसावां के आमदा निवासी देव महंती (पिता - तापस महंती) और छोटा आमदा निवासी साहिल महतो (पिता - कालीचरण महतो) के रूप में हुई।
स्थानीय लोगों और आमदा पुलिस की मदद से दोनों घायलों को रात 7:30 बजे खरसावां सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लाया गया। लेकिन वहां डॉ. कन्हैयालाल उरांव ड्यूटी से अनुपस्थित थे। लगभग आधे घंटे तक इंतजार के बाद, घायलों की नाजुक स्थिति को देखते हुए रात 8 बजे उन्हें एंबुलेंस से टीएमएच, जमशेदपुर ले जाया गया। दुर्भाग्यवश, डॉक्टर की गाड़ी 15 मिनट बाद अस्पताल पहुंची, जब तक घायल युवकों को अस्पताल से रवाना किया जा चुका था।
रात 9:30 बजे टीएमएच जमशेदपुर पहुंचने पर चिकित्सकों ने दोनों युवकों को मृत घोषित कर दिया। स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि समय पर इलाज मिल गया होता, तो शायद दोनों युवकों की जान बचाई जा सकती थी।