चांडिल प्रखंड के चिलगु पंचायत अंतर्गत तुलिन गांव में डायरिया का प्रकोप तेजी से फैल रहा है। बीते एक सप्ताह में गांव के 13 परिवारों के 18 लोग इसकी चपेट में आ चुके हैं। गुरुवार को सूचना मिलने पर स्वास्थ्य विभाग की पांच सदस्यीय टीम गांव पहुंची और मेडिकल जांच के साथ प्राथमिक उपचार शुरू किया।
टीम के कोऑर्डिनेटर संतोष सिंह ने बताया कि तीन मरीजों की स्थिति गंभीर पाई गई है जिन्हें तत्काल ड्रिप लगाकर इलाज दिया जा रहा है, जबकि अन्य मरीजों को दवाएं देकर आराम करने की सलाह दी गई है। ग्रामीणों से स्वास्थ्य सहिया के माध्यम से दवा प्राप्त करने की अपील भी की गई है।
स्थानीय स्वास्थ्य सहिया सोमवारी हांसदा ने बताया कि बीमारी की शुरुआत में कुछ दवाइयां वितरित की गई थीं, लेकिन समय पर सूचना नहीं मिलने के कारण व्यापक स्तर पर उपचार नहीं हो पाया। बुधवार शाम को जब स्थिति बिगड़ी तब जाकर दवा वितरण तेज किया गया।
चांडिल सीएचसी के चिकित्सक वनबिहारी ने कहा कि सभी मरीजों का प्राथमिक उपचार किया गया है और गंभीर लक्षणों पर विशेष नजर रखी जा रही है।
हालांकि गांव के मांझी बाबा सुखदेव मरांडी ने स्वास्थ्य विभाग पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि समय रहते मेडिकल कैंप लगाया जाता तो स्थिति इतनी भयावह नहीं होती। उन्होंने आरोप लगाया कि स्वास्थ्य विभाग को कई बार सूचना दी गई थी, लेकिन लापरवाही के चलते ग्रामीणों की जान खतरे में पड़ गई। गांव के कई लोग इलाज के अभाव में बंगाल के बलरामपुर तक जाने को मजबूर हो चुके हैं।
गांव में कुल 45 परिवार रहते हैं, और सवाल उठता है कि जब स्वास्थ्य सहिया को बीमारी की जानकारी थी तो घर-घर जाकर समय रहते स्वास्थ्य परीक्षण क्यों नहीं किया गया?
डायरिया एक गंभीर बीमारी है और समय पर उपचार नहीं मिलने से जानलेवा साबित हो सकता है। ग्रामीणों ने स्वास्थ्य विभाग से मांग की है कि भविष्य में ऐसी स्थिति से बचने के लिए त्वरित मेडिकल कैंप की व्यवस्था की जाए ताकि ग्रामीणों को समय पर उचित इलाज मिल सके।