जमशेदपुर: डुमरिया प्रखंड के 12 गांवों के 118 संताल परिवार सामाजिक बहिष्कार की पीड़ा झेलते हुए अब जिला प्रशासन से न्याय की गुहार लगा रहे हैं। गुरुवार को इन परिवारों ने जमशेदपुर उपायुक्त कार्यालय पहुंचकर शिकायत दर्ज कराई और चेतावनी दी कि अगर जल्द न्याय नहीं मिला, तो वे धर्म परिवर्तन करने को मजबूर हो जाएंगे। उन्होंने इसके लिए सीधे तौर पर ग्राम प्रधानों को जिम्मेदार ठहराया है।
पीड़ितों का आरोप है कि छोटी-छोटी बातों पर ग्राम प्रधान धार्मिक बहिष्कार करते हैं, जिससे उनकी सामाजिक और बुनियादी ज़िंदगी बुरी तरह प्रभावित हो रही है। न तो उन्हें गांव के कुओं और जलस्रोतों से पानी लेने दिया जाता है, न ही अंतिम संस्कार में सहयोग मिलता है। बच्चों की शिक्षा भी प्रभावित हो रही है। पीड़ित परिवारों की ओर से प्रतिनिधित्व कर रहे टुकाराम मार्ड ने कहा कि यह बहिष्कार एक प्रकार की सामाजिक हिंसा है जो जीवन के हर हिस्से को प्रभावित कर रही है।
पीड़ितों की मांग है कि उन्हें स्वतंत्र रूप से अपना ग्राम प्रधान चुनने की अनुमति दी जाए ताकि वे सम्मानपूर्वक जीवन जी सकें। साथ ही उन्होंने सामाजिक बहिष्कार में संलिप्त ग्राम प्रधानों पर कानूनी कार्रवाई की भी मांग की है।
यह मामला ऐसे समय सामने आया है जब पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन राज्यभर में धर्मांतरण के खिलाफ अभियान चला रहे हैं। ऐसे में संताल परिवारों की धर्म परिवर्तन की चेतावनी प्रशासन और सरकार की नीतियों के सामने एक गंभीर चुनौती बनकर उभर रही है।
प्रशासनिक हस्तक्षेप की मांग
परिवारों का स्पष्ट कहना है कि जब तक प्रशासन ठोस और निर्णायक कदम नहीं उठाता, तब तक सामाजिक बहिष्कार की यह कुप्रथा जारी रहेगी। अब देखना यह होगा कि जिला प्रशासन इस गंभीर मामले पर कितना संवेदनशील रुख अपनाता है और क्या ठोस कार्रवाई करता है।