Sahibganj Sidhu Kanu Vanshaj: सिद्धू कानू के वंशजों को श्रद्धांजलि पूजा-अर्चना से रोकने तथा लाठीचार्ज किए जाने की घटना पर दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग
Sahibganj Sidhu Kanu Vanshaj: सिद्धू कानू के वंशजों को श्रद्धांजलि पूजा-अर्चना से रोकने तथा लाठीचार्ज किए जाने की घटना पर दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग
Sahibganj Sidhu Kanu Vanshaj: आदिवासी सुरक्षा परिषद के द्वारा आज जमशेदपुर में साहिबगंज जिला प्रशासन द्वारा भोगनादीह शहीद स्थल पर सिद्धू कानू के वंशजों को श्रद्धांजलि पूजा-अर्चना से रोकने तथा लाठीचार्ज किए जाने की घटना पर दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग को लेकर उपायुक्त के माध्यम से राज्यपाल को मांग पत्र।
झारखंड के साहिबगंज जिला अंतर्गत भोगनाडीह स्थित सिदो-कानू शहीद स्थल, जो संथाल हूल की ऐतिहासिक भूमि है, वहाँ 30 जून 1855 की क्रांति की स्मृति में प्रत्येक वर्ष श्रद्धांजलि कार्यक्रम आयोजित किया जाता है। यह स्थल हमारी शहादत की विरासत का प्रतीक है जहाँ सिदो-कानू जैसे वीर शहीदों ने अंग्रेजी सत्ता के विरुद्ध संग्राम कर देश की आज़ादी के आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
सिदो-कानू के वंशजों द्वारा पूर्व निर्धारित विचार गोष्ठी एवं श्रद्धांजलि कार्यक्रम आयोजित किया जाना था, जिसकी अनुमति हेतु ग्रामसभा से स्वीकृति प्राप्त की गई थी। परंतु अत्यंत खेदजनक है कि साहिबगंज जिला प्रशासन ने इस कार्यक्रम की अनुमति नहीं दी तथा जब शहीदों के वंशज श्रद्धांजलि देने हेतु स्थल पर पहुँचे, तो उन पर लाठीचार्ज किया गया। यह कार्य न केवल शहीदों के सम्मान का अपमान है, बल्कि लोकतांत्रिक एवं संवैधानिक मूल्यों का भी घोर उल्लंघन है।
झारखंड के सरायकेला-खरसावाँ, चाईबासा आदि जिलों में शहीद दिवस के अवसर पर विभिन्न राजनीतिक दलों और संगठनों को श्रद्धांजलि कार्यक्रम के लिए प्रशासन द्वारा समय निर्धारण कर अनुमति दी जाती है, जिससे सभी शांतिपूर्वक आयोजन कर सकें। किंतु भोगनाडीह में जब 29 जून को कोई सरकारी कार्यक्रम प्रस्तावित नहीं था, तब भी वंशजों को कार्यक्रम करने से क्यों रोका गया, यह प्रशासन का पक्ष स्पष्ट नहीं है। इससे यह प्रतीत होता है कि जिला प्रशासन की कार्यप्रणाली में भेदभाव एवं राजनीतिक हस्तक्षेप की बू आती है। साहिबगंज जिला पांचवीं अनुसूची क्षेत्र के अंतर्गत आता है, जहाँ संविधान की पेसा कानून के तहत ग्रामसभा को सर्वोच्च अधिकार प्राप्त है। फिर भी ग्रामसभा की अनुमति एवं सहमति को दरकिनार कर प्रशासन ने कार्यवाही की, जो स्पष्टतः केंद्र एवं राज्य के संवैधानिक प्रावधानों की अवहेलना है। इसलिए दोषी अधिकारियों को जल्द से जल्द बर्खास्त किया जाए