• 2025-06-29

Ranchi RIMS-2: रिम्स-2 निर्माण के विरोध में सड़क पर उतरे किसान

Ranchi RIMS-2: झारखंड की राजधानी रांची में सबसे बड़े अस्पताल रिम्स का बोझ कम करने के लिए रिम्स-2 का निर्माण किया जाना है। लेकिन यह प्रोजेक्ट कांके के नगड़ी इलाके में बनाने का प्रस्ताव है, जिसका आदिवासी किसान पुरजोर विरोध कर रहे हैं। किसानों का कहना है कि जिस जमीन पर रिम्स-2 का निर्माण किया जाना है, वह मूल रूप से कृषि योग्य भूमि है और उनकी आजीविका का मुख्य साधन है।
किसानों ने मांग की है कि सरकार को ग्रामीणों से संवाद करना चाहिए था, जो नहीं किया गया। इसके बजाय, आनन-फानन में घेराबंदी की जाने लगी। किसानों का आरोप है कि उन्हें अपने ही खेतों में घुसने नहीं दिया जा रहा है, जो सरासर गलत है।

किसानों ने विरोध में कुदाल लेकर सड़क पर उतरे और खेती कर अपना विरोध जताया। इस बीच पुलिस भी मौके पर पहुंची और किसानों को रोकने का प्रयास किया। किसानों का कहना है कि उनके साथ अन्याय हो रहा है और वे अपनी जमीन नहीं छोड़ेंगे.

नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने भी किसानों का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि रिम्स-2 के निर्माण के लिए जिस जमीन का चयन किया गया है, वह कृषि योग्य है और यहां वर्षों से खेती हो रही है। उन्होंने सुझाव दिया कि सरकार को इसके आसपास 5-10 किलोमीटर के दायरे में बंजर जमीन पर निर्माण कराना चाहिए.
भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने सरकार की मंशा पर सवाल उठाया है। उन्होंने कहा कि सरकार आदिवासियों को गुमराह करने की कोशिश कर रही है और कांग्रेस के दो अग्रणी नेताओं से विरोधाभासी बयान दिलवाकर कन्फ्यूजन पैदा करने की कोशिश कर रही है।
बाबूलाल मरांडी ने चेतावनी दी है कि यदि इस जमीन पर निर्माण कार्य नहीं रोका गया, तो बड़ा आंदोलन होगा, जिसमें राज्य भर के आदिवासी शामिल होंगे। उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य सरकार इस बहाने आदिवासियों को उनके खेतों से बेदखल कर रही है।
स्वास्थ्य विभाग ने रांची में 1,074 करोड़ रुपये की लागत से रिम्स-2 के निर्माण का निर्णय लिया है। इसके लिए 110 एकड़ जमीन की आवश्यकता होगी, जिस पर 700 बेड का अस्पताल बनेगा। इस परियोजना में स्नातक और 50 स्नातकोत्तर सीटों के लिए पढ़ाई की व्यवस्था की घोषणा की गई है। हालांकि, जमीन को लेकर चल रहे विवाद के कारण निकट भविष्य में इसका शिलान्यास होने की संभावना कम नजर आती है.
किसानों की चिंता है कि यदि उनकी जमीन अधिग्रहित की जाती है, तो उनकी आजीविका पर सीधा असर पड़ेगा। वे अपनी जमीन नहीं छोड़ना चाहते हैं और इसके लिए संघर्ष करने को तैयार हैं। अब देखना होगा कि सरकार किसानों की मांगों पर कितनी गंभीरता से विचार करती है और इस मुद्दे का समाधान निकालने के लिए क्या कदम उठाती है.