खरसावां में रज संक्रांति के अवसर पर भक्तिभाव का अनोखा दृश्य देखने को मिला। जानकारी के अनुसार, रविवार को रज संक्रांति के दिन खरसावां के प्रसिद्ध गीतिलोता शिव मंदिर में सैकड़ों शिव भक्तों ने अपनी आस्था का अद्वितीय प्रदर्शन किया। भीषण गर्मी और लू के बावजूद करीब 500 से अधिक श्रद्धालुओं ने उपवास रखा और जलते अंगारों पर नंगे पांव चलकर अपनी आस्था प्रकट की।
बताया गया कि इन भक्तों ने शनिवार से उपवास शुरू कर मंदिर प्रांगण में भैरवनाथ की विधिवत पूजा की। रविवार दोपहर लगभग 12 बजे, तेज धूप के बीच भक्तों ने मंदिर के सामने जलते अंगारों पर अग्नि-स्नान जैसी कठिन परंपरा निभाई। ढोल-नगाड़ों की गूंज के बीच भक्तों ने इस अग्नि परीक्षा में भाग लिया।
अपनी मन्नत पूरी होने की खुशी में श्रद्धालुओं ने ‘नियां माडा’ यानी आग पर चलने की इस विशेष धार्मिक परंपरा को गहरे श्रद्धा भाव से निभाया। साथ ही करीब 50 से अधिक भक्तों ने अपने हाथ और पीठ की चमड़ी पर सुई-धागा पिरोकर ‘रजनी फुड़ा’ नामक धार्मिक क्रिया में भाग लिया। यह सब उन्होंने स्वेच्छा से, भगवान शिव के प्रति प्रेम और समर्पण में किया।
इसके अलावा मंदिर के पाट भोक्ता ने लोहे की कीलों वाले पटरे पर लेट कर, और फिर उसे कंधों पर उठाकर एक किलोमीटर दूर नदी से मंदिर तक ले जाकर अनोखे तरीके से अपनी आस्था व्यक्त की। इस पूरे आयोजन में हजारों श्रद्धालु उपस्थित रहे और भक्ति की इस परंपरा को साक्षात देखा।
श्रद्धालु सूर्यदेव महतो ने बताया कि रज पर्व के दिन यह धार्मिक अनुष्ठान वर्षों से जारी है और आज भी पूरी आस्था के साथ निभाया जा रहा है। भोक्ता सुनील महतो ने कहा कि वे वर्षों से इस परंपरा को निभाते आ रहे हैं और इसमें उन्हें आत्मिक संतोष मिलता है। वहीं, श्रद्धालु कृष्णा महतो का मानना है कि यह कठिन तपस्या भक्तों द्वारा शिव से की गई मन्नतों की पूर्ति पर आधारित है। कुलदीप महतो ने बताया कि यह परंपरा न केवल आत्मा को शांति देती है, बल्कि शिव भक्तों के जीवन में आस्था और भरोसे की लौ भी जलाए रखती है।