Women Empowerment: बोकारो के गोमिया में साल के बीज महिला सशक्तिकरण और आमदनी का जरिया बन रहे हैं। ग्रामीण महिलायें साल के बीज को बेचकर आर्थिक रूप से सशक्त बन रही हैं और आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ा रही हैं।
साल, जिसे सखुआ (या सखुवा) भी कहा जाता है, के पेड़ के बीज को जमा करना लोगों के लिए आमदनी का एक बेहतर जरिया है। महिलायें साल पेड़ के बीज को जमा कर घर लेकर आती हैं और पत्तों को जलाकर अलग कर लेती हैं। फिर, साल के बीज को जमा करती हैं, जिसे बाहर से आये व्यापारी खरीदकर ले जाते हैं।
महिलाओं ने बताया कि वो लोग 30 से 40 रूपये किलो के भाव से बीज को बेचती हैं। उनका कहना है कि इस काम को करने में कोई पूंजी नहीं लगती, केवल मेहनत करने से घर में कुछ पैसे आ जाते हैं। महिलाएं रोजाना 100-200 रुपये कमा लेती हैं।
वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि वन को सुरक्षित रखते हुए वनो उत्पाद का उपयोग किया जा सकता है।
चतरोचट्टी पंचायत के मुखिया महादेव महतो ने कहा कि साल के बीज से निकले तेल को कुजरी का तेल कहा जाता है, जो साबुन बनाने में काम आता है। उन्होंने कहा कि सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में ही लघु उद्योग स्थापित कर तेल निकालना चाहिए, जिससे गांव में भी साबुन बनाया जा सकता है।
पर्यावरणविद जटलू महतो ने कहा कि साल के बीज वन उत्पाद है और वन विभाग को समिति बनाकर ग्रामीण क्षेत्रों में लघु उद्योग स्थापित कर साबुन बनाने पर बल देना चाहिए। इससे काफी संख्या में महिला रोजगार से जुड़ेंगी और आत्मनिर्भर बनने में बल मिलेगा।