पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन 21 मई को होने वाली टीएसी बैठक में शामिल नहीं होंगे. उन्होंने अपने इस फैसले की वजह भी लोगों को बतायी है.
Champai Soren: भाजपा ने हेमंत सरकार 2.0 में होने वाली ट्राइबल एडवाइजरी काउंसिल (टीएसी) की पहली बैठक का बहिष्कार करने का निर्णय लिया है. इसे लेकर पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन ने कहा कि “झारखंड में भाजपा ने आदिवासी परामर्शदातृ समिति (टीएसी) की बैठक का बहिष्कार करने का निर्णय लिया है. टीएसी का गठन सदैव राज्यपाल के संरक्षण में करने की परंपरा रही है, जिसे इस राज्य सरकार ने तोड़ दिया है.”
चंपाई सोरेन ने कहा कि “कहने को तो यह संस्था आदिवासियों के हित में निर्णय लेकर, सरकार को परामर्श देने के लिए बनी है. लेकिन पिछले कुछ वर्षों में #TAC की बैठकों का कुछ खास परिणाम नहीं दिख रहा है. टीएसी में सरकार के पास बहुमत है, लेकिन फिर भी कई वर्षों से PESA समेत आदिवासी समाज के कई मामलों का फंसे रहना इस सरकार के ढुलमुल रवैये को दर्शाता है.
पूर्व सीएम चंपाई ने आगे कहा कि टीएसी की कल होने जा रही बैठक में पहला मुद्दा आदिवासी बहुल गांवों में शराब की दुकानें एवं बार खोलने का लाइसेंस देने का है. अपने सामाजिक जीवन की शुरुआत ही, मैंने नशा-विरोधी मुहिम से की थी और जिस बैठक में झारखंड की युवा पीढ़ी को नशे के दलदल में धकेलने के दस्तावेजों पर मुहर लगाई जा रही हो, उसमें शामिल होना, मेरे लिए संभव नहीं है.
टीएसी की बैठक मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में होगी. विधायक संजीव सरदार, सोनाराम सिंकू, स्टीफन मरांडी, लुईस मरांडी, राजेश कच्छप, जिगा सुसारन होरो, सुदीप गुड़िया, आलोक सोरेन, जगत मांझी, नमन विक्सल कोनगाड़ी, रामचंद्र सिंह, राम सूर्या मुंडा और दशरथ गगराई ट्राइबल एडवाइजरी काउंसिल के सदस्य हैं. इसके अलावा भाजपा की ओर से बाबूलाल मरांडी और चंपाई सोरेन टीएसी के सदस्य हैं. काउंसिल में मनोनीत सदस्यों के रूप जोसाई मार्डी और नारायण उरांव शामिल हैं.