• 2025-05-14

Jamshedpur Bagbera Big Issue: "नाक पर रुमाल, आंखों पर पट्टी" बागबेड़ा की सड़कों से लेकर गलियों तक पसरी गंदगी पर ज़िला परिषद और जनप्रतिनिधियों की शर्मनाक चुप्पी!

"नाक पर रुमाल, आंखों पर पट्टी" बगबेड़ा की सड़कों से लेकर गलियों तक पसरी गंदगी पर ज़िला परिषद और जनप्रतिनिधियों की शर्मनाक चुप्पी! Jamshedpur: बागबेड़ा कॉलोनी और उसके आस-पास के क्षेत्रों की हालत दिनो दिन बदतर होती जा रही है। जगह-जगह कचरे के ढेर, बदबू और मच्छरों का आतंक आम जनता का जीना मुहाल कर रहा है। लेकिन हैरानी की बात यह है कि इस गंभीर मुद्दे पर जिम्मेदार जनप्रतिनिधि पूरी तरह से चुप हैं।

स्थानीय लोगों का कहना है कि कई बार शिकायत करने के बावजूद सफाई व्यवस्था में कोई सुधार नहीं हुआ है। बागबेड़ा मजार के पास, बागबेड़ा दुर्गा पूजा मैदान के रोड नंबर 5 के समीप, रेलवे स्कूल हनुमान मंदिर के पास और कॉलोनी के लगभग हर मैदानों के कोने में कूड़े के ढेर लगे हैं। यहां तक कि स्कूलों के आसपास भी गंदगी फैली हुई है, जिससे बच्चों के स्वास्थ्य पर भी सीधा असर पड़ रहा है। 

"जनता से वोट लेकर गायब हो गए नेता"

नागरिकों का आक्रोश अब जनप्रतिनिधियों के खिलाफ खुलकर सामने आने लगा है। लोगों ने आरोप लगाया कि विधायक हों या पार्षद, चुनाव के समय बड़े-बड़े वादे करने वाले नेता अब जनता की तकलीफों से मुँह मोड़ चुके हैं।

"जनता पूछ रही है: कहाँ हैं हमारे नेता?"

क्या बागबेड़ा के नागरिक सिर्फ वोट बैंक हैं?
क्या कचरे के ढेर पर विकास का नारा लगाया जाएगा?
क्या जनप्रतिनिधियों की जिम्मेदारी सिर्फ सोशल मीडिया पर दिखावे की है?

समस्या नहीं, सजा बन गई है बगबेड़ा में रहना

पानी की निकासी की उचित व्यवस्था न होने से बरसात के दिनों में स्थिति और भयावह हो जाती है। गंदगी के कारण डेंगू, मलेरिया जैसे रोग हर साल सैकड़ों परिवारों को प्रभावित करते हैं, लेकिन न प्रशासन और न ही जनप्रतिनिधि कोई ठोस कदम उठाते हैं।

कोई ठोस व्यवस्था नहीं, कचरा निस्तारण भगवान भरोसे

बागबेड़ा कॉलोनी और आसपास के क्षेत्रों में कचरा फेंकने या निस्तारण के लिए कोई निश्चित व्यवस्था ही नहीं है। न तो प्रशासन ने डस्टबिन की पर्याप्त सुविधा दी है, न ही कोई डंपिंग ज़ोन निर्धारित किया गया है। परिणामस्वरूप, लोग मजबूरी में सड़क किनारे, नालियों में या खाली ज़मीन पर कूड़ा फेंक रहे हैं। इससे न सिर्फ गंदगी बढ़ रही है, बल्कि यह संक्रमण फैलाने का भी बड़ा कारण बनता जा रहा है। यह पूरी तरह से नगर प्रशासन की लापरवाही और जनप्रतिनिधियों की उदासीनता को उजागर करता है।

स्थानीय निवासी पवन ओझा समेत लोगों ने किए सवाल -

क्या बागबेड़ा ज़िला परिषद सो रही है?
स्थानीय पार्षद और विधायक आख़िर किस काम में व्यस्त हैं?
जनता के टैक्स का पैसा आखिर जा कहां रहा है?

अब समय है जनता को जागरूक करने का

बागबेड़ा कॉलोनी की स्थिति किसी आपातकाल से कम नहीं है और इसके लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार हैं वे नेता जो जनता से वादे करके सत्ता में आए लेकिन ज़मीनी स्तर पर नाकाम साबित हुए। जनता अब सवाल पूछेगी और जवाब मांगेगी।