झारखंड हाइकोर्ट ने राज्य में गैर मजरुआ खास जमीन की खरीद-बिक्री से रोक हटा
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Jharkhand झारखंड हाइकोर्ट ने राज्य में गैर मजरुआ खास जमीन की खरीद-बिक्री से रोक हटा दी है. हाइकोर्ट ने राजस्व, निबंधन व भूमि सुधार विभाग के उस आदेश को खारिज कर दिया है, जिसमें गैर मजरुआ खास जमीन के निबंधन पर रोक लगायी गयी थी. विभाग के इस आदेश से राज्य भर के वैसे रैयत परेशान थे.
जिनकी जमीन गैर मजरुआ खास खाते की है. राजस्व, निबंधन एवं भूमि सुधार विभाग के तत्कालीन सचिव कमल किशोर सोन ने 26 अगस्त, 2015 को अधिसूचना जारी कर आदेश दिया था कि हस्तांतरण विलेख का निबंधन निबंधन अधिनियम 1908 की उपयुक्त धारा 22 क के अधीन लोकनीति के विरुद्ध है.
इस आदेश के बाद झारखंड में केसरेहिंद भूमि, गैर मजरुआ आम भूमि, वनभूमि, जंगल समेत अन्य विभागों के लिए अर्जित सरकारी भूमि के साथ-साथ गैर मजरुआ खास जमीन की खरीद-बिक्री पर रोक लगा दी गयी थी.
आदेश के खिलाफ कई लोगों ने झारखंड हाइकोर्ट में याचिका दायर कर दी. याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव व न्यायाधीश राजेश शंकर की डबल बेंच ने फैसला सुनाते हुए राज्य सरकार की जारी अधिसूचना रद्द कर दी.
भूमि सुधार विभाग के आदेश के खिलाफ झारखंड हाइकोर्ट में कई रिट याचिकाएं दायर की गयीं. रांची की सीएनडीटीए नामक कंपनी, जमशेदपुर की मेसर्स वीएसआरएस कंस्ट्रक्शन, गिरिडीह के भगवती देवी व वीरेंद्र नारायण देव और धनबाद के विनोद अग्रवाल याचिका दायर करनेवालों में शामिल थे. रिट याचिका-5088/2018, 630/2019, 2479/2019, 7526/2023 और 1121/2024 पर एक साथ सुनवाई करते हुए झारखंड हाइकोर्ट की डबल बेंच ने अपना फैसला सुनाया.
झारखंड हाइकोर्ट ने अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश का हवाला दिया है, जिसमें राज्य सरकार बनाम बसंत नाहटा व अन्य में अपना फैसला सुनाया गया था. राजस्थान सरकार ने केंद्र सरकार के निर्देश के आलोक में निबंधन एक्ट में संशोधन किया था, जिसमें बताया गया कि सार्वजनिक नीति का सिद्धांत अस्पष्ट और अनिश्चित है.
इसकी व्याख्या करने के लिए कोई दिशा-निर्देश जारी नहीं किया गया है. सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान सरकार के फैसले को अधिकार क्षेत्र से बाहर बताते हुए उसे खारिज कर दिया था. उसी आदेश का हवाला देते हुए झारखंड हाइकोर्ट ने अपना फैसला सुनाया.