सरायकेला-खरसावां जिले के गम्हरिया थाना क्षेत्र में हुए अफसर अली हत्याकांड में पुलिस की बड़ी लापरवाही सामने आई है। इस मामले में नामजद आरोपी जमील अंसारी पुलिस की गिरफ्त से बचते हुए कोर्ट में सरेंडर करने में सफल रहा। इसके बाद पुलिस जब उसे रिमांड पर लेकर पूछताछ करने लगी, तब जाकर एक बड़े ड्रग्स और हथियार रैकेट का पर्दाफाश हुआ।
पुलिस के हाथ से फिसला आरोपी
14 मार्च को सीतारामपुर डैम के पास अफसर अली की हत्या के बाद पुलिस ने फकरे आलम और मो. करीम को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। लेकिन मुख्य आरोपी जमील अंसारी पुलिस की नजरों से बचकर कोर्ट में आत्मसमर्पण करने में सफल रहा। सवाल उठता है कि पुलिस ने उसे समय रहते क्यों नहीं पकड़ा? क्या उसे बच निकलने का मौका दिया गया?
रिमांड में खुली सच्चाई
कोर्ट में सरेंडर करने के बाद जब पुलिस ने जमील अंसारी को रिमांड पर लिया और सख्ती से पूछताछ की, तो उसने कबूल किया कि उसके घर की अलमारी में भारी मात्रा में ब्राउन शुगर और हथियार छुपाए गए हैं। इसके बाद एसडीपीओ समीर कुमार सवैया के नेतृत्व में एक टीम का गठन किया गया, जिसमें आदित्यपुर थाना प्रभारी राजीव कुमार भी शामिल थे। पुलिस ने मुस्लिम बस्ती स्थित जमील के घर में छापेमारी कर 77.47 ग्राम ब्राउन शुगर, दो जिंदा कारतूस, एक पैन कार्ड और ई-श्रम कार्ड बरामद किया। जब्त ब्राउन शुगर की कीमत लगभग 16 लाख रुपये आंकी गई है।
पुलिस की नाकामी पर उठे सवाल
इस पूरे मामले ने पुलिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। आखिर ऐसा कैसे हुआ कि एक नामजद आरोपी पुलिस को चकमा देकर कोर्ट में सरेंडर करने में कामयाब हो गया? अगर पुलिस पहले से सतर्क होती, तो शायद यह बड़ा ड्रग्स और हथियार रैकेट पहले ही पकड़ा जा सकता था। अब जब मामला खुल चुका है, तो क्या पुलिस अपने ढीले रवैये से कोई सबक लेगी?
जनता में आक्रोश
पुलिस की इस लापरवाही पर स्थानीय लोग नाराजगी जता रहे हैं। लोगों का कहना है कि अगर जमील अंसारी खुद सरेंडर नहीं करता, तो शायद पुलिस उसे पकड़ ही नहीं पाती और उसके घर में छुपे नशे और हथियारों का राज कभी नहीं खुलता। ऐसे में सवाल उठता है कि पुलिस की यह ढिलाई अपराधियों को और कितनी छूट देगी?
पुलिस प्रशासन ने अब इस मामले में सख्त कार्रवाई करने का आश्वासन दिया है, लेकिन क्या यह आश्वासन अपराधियों पर नकेल कसने के लिए पर्याप्त होगा? यह देखना बाकी है।