• 2025-04-25

पहलगाम में हमला के बाद इन नदियों का जल पाकिस्तान को नहीं दिया जाएगा आईए जानते है उन नदियों के बारे मे

Meta Description

आजादी के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच पानी के बंटवारों को लेकर विवाद शुरू हो गया था. ये विवाद उन छह नदियों को लेकर था, जो कि भारत और पाकिस्तान दोनों में बहती हैं. भारत ने पाकिस्तान के साथ 1965, 1971 और 1999 के युद्ध में भी इस समझौते को नहीं तोड़ा था लेकिन इस बार भारत ने कड़ा रुख अपनाते हुए सिंधु जल समझौते को रद्द कर दिया है. आइये जानते हैं क्या है इंडस वाटर ट्रिटी या सिंधु जल समझौता इंडस वाटर ट्रिटी को सिंधु जल संधि भी कहा जाता है. 

यह भारत और पाकिस्तान के बीच एक छह नदियों के जल के बंटवारे का समझौता है जो कि 19 सितंबर 1960 को हुआ था 1947 में आजादी मिलने के बाद भारत और पाकिस्तान दोनों में ही पानी के बंटवारे को लेकर विवाद शुरू हो गया था. ये सभी नदियां सिंधु, झेलम, चिनाब, रावी, व्यास और सतलज भारत और पाकिस्तान में बहती हैं. पाकिस्तान का आरोप था कि भारत इन नदियों पर बांध बनाकर पानी का दोहन करता है. जिससे उसके इलाके में पानी कम आता है और वहां सूखा जैसी स्थिति बनी रहती है. जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हमला करके आंतकवादियों ने 28 लोगों को मार दिया. इस हमले में पाकिस्तान का हाथ पाया गया है. इसके बाद भारत ने सिंधु जल समझौता, अटारी बॉर्डर बंद करना, वीजा समझौता रद्द करने सहित कई अन्य बड़े फैसले लिए हैं जो पाकिस्तान को सीधे प्रभावित करेंगे. आजादी मिलने के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच पानी के बंटवारों को लेकर विवाद शुरू हो गया था. ये विवाद उन छह नदियों को लेकर था, जो कि भारत और पाकिस्तान दोनों में बहती हैं. भारत ने पाकिस्तान के साथ 1965, 1971 और 1999 के युद्ध में भी इस समझौते को नहीं तोड़ा था. लेकिन इस बार भारत ने कड़ा रुख अपनाते हुए सिंधु जल समझौते को रद्द कर दिया है.
इंडस वाटर ट्रिटी को सिंधु जल संधि भी कहा जाता है. यह भारत और पाकिस्तान के बीच एक छह नदियों के जल के बंटवारे का समझौता है. जो कि 19 सितंबर 1960 को हुआ था. 1947 में आजादी मिलने के बाद भारत और पाकिस्तान दोनों में ही पानी के बंटवारे को लेकर विवाद शुरू हो गया था. ये सभी नदियां सिंधु, झेलम, चिनाब, रावी, व्यास और सतलज भारत और पाकिस्तान में बहती हैं. पाकिस्तान का आरोप था कि भारत इन नदियों पर बांध बनाकर पानी का दोहन करता है. जिससे उसके इलाके में पानी कम आता है और वहां सूखा जैसी स्थिति बनी रहती है. भारत और पाकिस्तान के बीच नदियों के पानी को लेकर विवाद बढ़ता गया इस पर 1949 में अमेरिकी विशेषज्ञ टेनसी वैली अथॉरिटी के पूर्व प्रमुख डेविड ललियंथल ने विवाद को समाप्त करने का प्रयास किया सितंबर 1951 में विश्व बैंक के तत्कालीन अध्यक्ष यूजीन रॉबर्ट ने इसमें मध्यस्थता की कई बैठकों के बाद 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल संधि हुई इस समझौते पर भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान ने हस्ताक्षण किए थे . 
इसके बाद 12 जनवरी 1961 को इस संधि की शर्तें लागू की गई इस संधि में तय किया गया कि पूर्वी क्षेत्र की तीन नदियों रावी, व्यास और सतलज पर भारत का अधिकार होगा. जबकि पश्चिम क्षेत्र की नदियों सिंधु, चिनाब और झेलम का पानी पाकिस्तान को दिया जाएगा. लेकिन भारत के पास इन नदियों के पानी से खेती व अन्य इस्तेमाल का अधिकार रहेगा.
 सिंधु, चिनाब और झेलम नदियों के कुल 16.80 करोड़ एकड़ फीट पानी में से भारत को 3.30 एकड़ पानी दिया गया. जो कुल पानी का 20 प्रतिशत है इस समझौते के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच एक स्थाई आयोग का गठन किया गया जिसे सिंधु आयोग नाम दिया गया दोनों तरफ से एक-एक आयुक्त इस समझौते के लिए तैनात किया गया यही दोनों अपनी-अपनी सरकारों का प्रतिनिधित्व करते हैं दोनों आयुक्तों को साल में एक बार मीटिंग करनी होती है ये मीटिंग एक साल भारत में तो दूसरे साल पाकिस्तान में होती है.