Jyada Budha Baba Mandir: श्रावणी मेला दूसरी सोमवार में उमड़ेगी भक्तों की भीड़, चांडिल अनुमंडल क्षेत्र के सुवर्णरेखा नदी एवं दलमा जंगल से सटे जंगल की तराई में बसे प्राचीन कालीन जयदा बूढ़ा बाबा मंदिर में दूसरी सोमवार को भक्तों की भीड़ उमड़ने की संभावना है। जिला प्रशासन द्वारा कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई है।
जयदा बूढ़ा बाबा मंदिर प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है और यहां बारहों महीने श्रद्धालु भक्तों की मंडली पहुंचती है। इस मंदिर का इतिहास 18वीं और 19वीं सदी के मध्य कालीन दिनों में केरा (खरसावां) महाराज और ईचागढ़ के राजा विक्रमादित्य देव से जुड़ा हुआ है। पंचदशनाम जूना अखाड़ा मढ़ी-४ आए जिनपर जयदा बूढ़ा की कृपा दृष्टि हुआ। महाराज को स्वप्न मिला जिससे प्रेरणा लेकर केरा राजा 18 वीं एवं 19 वीं जयदा मन्दिर का इतिहास सदी के मध्य कालीन दिनों में केरा (खरसावाँ) महाराज इस पहाड़ी पर आरवेटजयदेव सिंह ईचागढ़ के राजा विक्रमादित्य देव को जयदा स्थित बूढ़ा बाबा की इच्छा जाहिर किया तथा ईचागढ़ राजा के देख-रेख में जयदा मंदिर का स्थापना हुआ।
कालान्तर में इस पावन तीर्थ धाम में सन् 1966 में बाबा बह्मानन्द सरस्वती का आगमन हुआ। महात्मा की कठोर तपस्या एवं एकाग्रता से संतुष्ट होकर जयदा बूढ़ा बाबा मंदिर निर्माण का स्वपनादेश हुआ। कठोर परिश्रम एवं शिव भक्तों के सहयोग से सन्-1971 से मंदिर पुनर्निर्माण कार्य शुरू हुआ जो वत्तर्मान समय तक ब्रह्मा लीन महंत ब्रह्मानंद सरस्वती के प्रयास से जारी है, मंदिर पूर्ण निर्माण में खुदाई के दौरान उपलब्ध प्राचीन पत्थर की मुर्तियाँ तथा शिलालेख से ज्ञात होता है, कि यह मंदिर 9 वीं एवं 13वीं शताब्दी में भोगुल्ल पुत्र दामप्प के द्वारा बनाया गया था।
स्वर्णरेखा नदी के तट पर पवित्र जयदा बूढ़ा बाबा का मंदिर भक्त वात्सत्य है। यहाँ स्वंय कैलाशपति बूढ़ा बाबा के रूप में भक्तों का मनोकामना पूरी करते हैं।टाटा रांची मुख्य राज्य मार्ग एन एच 33 से दो किलो मीटर दूरी ,जमशेदपुर से 35 रांची से 100 किलोमीटर पुरुलिया से 65 किलोमीटर दूरी पर देव का देव महादेव बिराजमान है, जहां भक्तों वहां खींचे चले आते है।
श्रावणी मेला में प्रत्येक मंदिर को सजाया गया। जयदा बूढ़ा बाबा मंदिर परिसर प्रत्येक दिन सैंकड़ों की संख्या में श्रद्धालु भक्तों पूजा अर्चना करने पहुंचते हैं। जिसको देखते हुए जिला उपायुक्त के निर्देश पर चांडिल अनुमंडल पदाधिकारी द्वारा सुरक्षा को देखते हुए स्थानीय प्रशिक्षण प्राप्त।पांच लाइफ गार्ड गोताखोर एवं नाव की व्यवस्था किया गया ।
श्रावण मास 2025 के अवसर पर जयदा शिव मंदिर में कावरियों/श्रद्धालुओं के द्वारा शिव मंदिर में जलार्पण किये जाने तथा विशेषकर श्रावण मास के प्रत्येक सोमवार को जयदा मंदिर में अत्यधिक भीड होने की सम्भावना है। जयदा मंदिर में जल भराव के लिए एक ही स्थान (मंदिर के पास सीढ़ी) है। इसके अलावा अन्य कोई जलभराव का स्थल नहीं है। वर्तमान में लगातार हो रही वर्षा एवं चाण्डिल डैम का 10 रेडियल गेट खुला हुआ है । पानी का बहाव अत्यधिक है। जिससे किसी अप्रिय घटना घटित होने से इंकार नहीं किया जा सकता है। नदी का पानी मंदिर के कोई सीढ़ी डूब चुके है, पानी गहरा बताया जा रहा है,। जायदा मंदिर परिसर नदी स्नान करके कावरियों/श्रद्धालुओं के द्वारा पानी उठाकर पूजा अर्चना करने प्रश्चात बोलबम
दलमा सेंचुरी के अंदर दलमा बूढ़ा बाबा मंदिर 35 किलोमीटर और पुरुलिया जिला के बड़ेदा शिव मंदिर 42 किलोमीटर दूरी एंब तमाड़ क्षेत्र एक प्राचीन कालीन शिव मंदिर उस जगह पर भक्तों बोलबॉम काबेरिया जलाभिषेक करने जाते हैं। ज्यादा मंदिर परिसर में कड़ी सुरक्षा का व्यवस्था जिला प्रशासन द्वारा किया गया। कोई दुर्घटना की संभावना नहीं है ।