बेलडीह स्थित कब्रिस्तान में रविवार की सुबह ईसाई समुदाय ने अत्यंत श्रद्धा और आस्था के साथ ईस्टर पर्व मनाया। यह अवसर केवल धार्मिक रस्मों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि प्रेम, आशा और पुनरुत्थान के संदेश से ओतप्रोत रहा।
ईस्टर ईसाई धर्म का एक पवित्र पर्व है, जिसे यीशु मसीह के पुनर्जीवित होने की स्मृति में मनाया जाता है। यह पर्व जीवन, विश्वास और ईश्वर की अनंत कृपा का प्रतीक माना जाता है। बेलडीह में इस पर्व की शुरुआत सूरज निकलने से पहले ‘सनराइज़ सर्विस’ के साथ हुई, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए।
कब्रिस्तान में ईस्टर मनाने की परंपरा ईसाई आस्था का गहरा हिस्सा है। ईसाइयों का मानना है कि कब्रिस्तान केवल मृत्यु का प्रतीक नहीं, बल्कि पुनरुत्थान की प्रतीक्षा का स्थल भी है। इस मौके पर लोगों ने अपने प्रियजनों की कब्रों पर मोमबत्तियाँ जलाईं, फूल अर्पित किए और शांतिपूर्वक प्रार्थनाएँ कीं।
भक्ति गीतों और भजनों की स्वर लहरियों से पूरा वातावरण आध्यात्मिक ऊर्जा से भर गया। “He is Risen” और “Hallelujah” जैसे गीतों की गूंज ने सभी को यीशु मसीह के पुनरुत्थान की याद दिलाई। स्थानीय पादरी ने उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए प्रेम, क्षमा और पुनरुत्थान के महत्व पर प्रेरणादायक संदेश दिया।
सभी आयु वर्ग के लोग, बुजुर्गों से लेकर बच्चों तक, इस सामूहिक प्रार्थना और समारोह में भाग लेकर एकता, सहानुभूति और सामुदायिक भावना का संदेश दे रहे थे।