पोटका प्रखंड में स्थित पोडाहातु पहाड़ को बचाने के लिए स्थानीय ग्रामीण एकजुट हो गए हैं। यह पहाड़ आदिवासी समुदाय के लिए न केवल प्राकृतिक धरोहर है, बल्कि उनका पवित्र पूजा स्थल भी है, जहां वर्षों से धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराएं निभाई जाती रही हैं। ग्रामीणों का कहना है कि इस पहाड़ और इसके आसपास के जंगलों में उनकी आस्था और संस्कृति जुड़ी हुई है, और वे किसी भी कीमत पर इस क्षेत्र में खनन कार्य नहीं होने देंगे।
ग्रामीणों ने एकजुट होकर अपने पूजा स्थलों को चिह्नित करने के लिए लाल झंडे लगाए हैं, जो उनकी एकता और संकल्प को दर्शाता है। उनका कहना है कि वे प्रकृति के पुजारी हैं और इस पहाड़ और जंगल की रक्षा हर हाल में करेंगे। ग्रामीणों ने स्पष्ट किया कि खनन लीज को किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं किया जाएगा, क्योंकि यह उनकी सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान के साथ-साथ पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचाएगा।
ग्रामीणों ने कहा यह पहाड़ हमारी आस्था का केंद्र है। हमारे पूर्वजों से लेकर हम आज तक यहां पूजा करते आए हैं। खनन से हमारी संस्कृति और पर्यावरण दोनों को खतरा है। हम इसे रोकने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे।"एक महिला ग्रामीण ने भावुक होकर कहा, यह पहाड़ हमारा मंदिर है। हमारी हर खुशी, हर त्योहार यहां से जुड़ा है। हम अपने बच्चों के भविष्य के लिए इसकी रक्षा करेंगे। हमारी एकता हमारी ताकत है।
यह पहाड़ हमारी पहचान है, पूजा स्थलों को चिह्नित कर हमने अपना इरादा साफ कर दिया है। हम ग्रामीणों ने मिलकर फैसला किया है कि खनन के खिलाफ हमारा आंदोलन तब तक जारी रहेगा, जब तक इसकी रक्षा सुनिश्चित नहीं हो जाती। इस मौके पर धनेश्वर सरदार,बिनोस सरदार ग्राम प्रधान संगीता सरदार मुखिया आदि बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहें।