• 2025-04-19

Jamshedpur: डीसी साहब हमारी सुनने वाला कोई नहीं...! पेंशन के लिए रेंगती रही महिला, क्लर्कों के झूठे आश्वासनों में उलझी ज़िंदगी, जिला प्रशासन की लापरवाही चरम पर

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Jamshedpur: जमशेदपुर के डीसी कार्यालय स्थित सामाजिक सुरक्षा विभाग में गुरुवार को एक बेहद मार्मिक दृश्य देखने को मिला। धतकीडीह की रहने वाली लक्ष्मी देवी, जो दिव्यांग और विधवा हैं, ज़मीन पर घिसटती हुई कार्यालय में दाखिल हुईं। भीड़ में मौजूद लोगों की निगाहें दया से भर गईं, लेकिन अफसोस, सालों से लक्ष्मी की जिंदगी केवल “दया” और “आश्वासनों” में ही उलझ कर रह गई है।

 
लक्ष्मी का आरोप है कि पिछले छह महीनों से उन्हें दिव्यांग पेंशन नहीं मिल रही है। हर बार क्लर्क यही कहते हैं – “इस महीने मिल जाएगा,” लेकिन अब तक एक पाई भी खाते में नहीं आई। अकेली रहने वाली लक्ष्मी की हालत यह है कि कई दिनों से घर में चूल्हा तक नहीं जला। दोनों पैरों से दिव्यांग लक्ष्मी डीसी कार्यालय तक साकची टेंपो स्टैंड से घिसट-घिसट कर पहुंचती हैं, केवल यह जानने के लिए कि आज भी कोई जवाब नहीं है।
 
क्लर्कों की असंवेदनशीलता और विभाग की लापरवाही का आलम यह है कि एक और महिला, करनडीह की पूनम कर्मकार, पिछले दो साल से विधवा पेंशन के लिए आवेदन करने के बाद केवल “फॉलो अप” कर रही हैं। न आवेदन की स्थिति पता है, न कोई अधिकारी जवाबदेह है। हर बार उन्हें टाल दिया जाता है – “देख रहे हैं, बाद में आइए।”
 
सामाजिक सुरक्षा कोषांग की निदेशक नेहा संजना खलखो से संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन वे कार्यालय में मौजूद नहीं थीं। फोन पर भी कोई बातचीत नहीं हो सकी।
 
प्रश्न उठता है – जब पेंशन जैसी बुनियादी सहायता के लिए भी लोगों को रेंग-रेंग कर लड़ना पड़े, तो जिला प्रशासन की जिम्मेदारी कहां है?
 
सरकारी योजनाओं के नाम पर सिर्फ फॉर्म भरवाना और फिर सालों तक टालते रहना क्या मानवीय संवेदनाओं के साथ मज़ाक नहीं है? ज़िला प्रशासन को तत्काल इस मामले में संज्ञान लेना चाहिए और सुनिश्चित करना चाहिए कि लक्ष्मी और पूनम जैसी महिलाओं को उनका हक़ बिना अपमान और तकलीफ़ के मिले।