• 2025-06-27

Adityapur Dog Rescue Failure: डॉग की हालत नाजुक, प्रशासन खामोश ,एनजीओ ने बढ़ाया मदद का हाथ

आदित्यपुर: सरायकेला जिला में जिला प्रशासन की अनदेखी के कारण एक डॉग को बुरी हालत से गुजरना पड़ रहा है। बेजुबान जानवर मौत की ओर बढ़ रहा है। बीते तीन दिनों से आदित्यपुर नगर निगम क्षेत्र के खुले नाले के बहाव में एक डॉग बहते हुए निर्मल नगर पहुंचा। जहां स्थानीय नागरिकों ने मदद के लिए सरकारी हेल्पलाइन नंबर 1962 पर कई बार फोन किया। नगर निगम कार्यालय में बैठे डॉक्टर से भी संपर्क किया गया, लेकिन उन्होंने कम संसाधन और उपकरणों की कमी का हवाला देकर सहायता से मना कर दिया।

इस बीच आदित्यपुर की एक एनजीओ स्ट्रेस ऑफ जेएसआर फाउंडेशन घायल डॉग की मदद करने पहुंची। संस्था ने खुद के खर्चे से महंगी दवाइयों के माध्यम से इलाज शुरू किया। सीरलाइन चढ़ाकर प्राथमिक उपचार किया गया। डॉग को इलाज के बाद छोड़ दिया गया, लेकिन एनजीओ ने सुबह-शाम इलाज करते रहने का वादा किया है।

एनजीओ के सदस्य राजवीर ने बताया कि उनका एनजीओ सात महीने पूर्व रजिस्टर्ड हुआ है, जबकि इससे पहले कई वर्षों तक वह बिना रजिस्ट्रेशन के ही जानवरों की सेवा करते रहे हैं। एनजीओ को कुछ मित्रों से सीमित आर्थिक सहयोग मिलता है, बाकी खर्च वे स्वयं वहन करते हैं।

राजवीर ने आगे बताया कि अब तक आठ डॉग, दो चिड़िया, एक बाज, एक गधा और एक गाय को बचाकर उनका इलाज कर चुके हैं। बरसात के मौसम में जब घायल पक्षी नीचे गिरते हैं, तो उन्हें भी रेस्क्यू कर उपचार दिया जाता है। उन्होंने कहा कि वे सरायकेला और जमशेदपुर दोनों क्षेत्रों में लगातार सेवा दे रहे हैं।

उन्होंने यह भी बताया कि दलमा की एक बड़ी एनजीओ को टाटा कंपनी से फंड प्राप्त हो चुका है, लेकिन जब कभी उनकी संस्था ने संपर्क किया तो जवाब नहीं मिला। वहीं, जिला प्रशासन से अब तक किसी प्रकार का कोई सहयोग नहीं मिला है।

सरायकेला जिले में पशु सहायता के लिए एक सरकारी नंबर 1962 जारी किया गया है, ताकि आपातकालीन स्थिति में कॉल कर मदद ली जा सके। लेकिन वास्तविकता यह है कि कॉल रिसीव ही नहीं किया जाता। प्रशासन भले ही 24 घंटे सेवा देने का दावा करता हो, लेकिन जमीन पर इसकी सच्चाई कुछ और ही है।

फिलहाल प्रशासन की अनदेखी एक बेजुबान जानवर की तकलीफ का कारण बन रही है। यह मामला सरकारी व्यवस्था पर सवाल खड़े कर रहा है कि क्या सरकारी योजनाएं सिर्फ कागजों तक ही सीमित हैं?