सरायकेला (नीमडीह) : हेवन पंचायत के पहाड़धार इलाके में मंगलवार रात करंट की चपेट में आने से एक मादा हथिनी की दर्दनाक मौत हो गई। हथिनी के सूंड पर गहरे जख्म के निशान मिले हैं, जिससे आशंका है कि वह बिजली के तार में फंस गई थी। घटना के बाद वन विभाग की भूमिका पर गंभीर सवाल उठने लगे हैं, क्योंकि इस क्षेत्र में हाथियों का उत्पात दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है और ग्रामीणों में डर का माहौल है।
रात करीब 3 बजे गांव के रघुनाथ सिंह के घर के पीछे जब हथिनी का छह माह का बच्चा जोर-जोर से चिंघाड़ने लगा, तब परिवार के लोग छत पर चढ़े और देखा कि बेबी हाथी अपनी मां के शव के आसपास भटक रहा था। सुबह होते ही गांव में यह खबर फैल गई और मुखिया सुलोचना देवी को सूचना दी गई। वन विभाग को भी इसकी जानकारी दी गई और अधिकारी मौके पर पहुंचे।
हथिनी की मौत के पीछे बिजली का करंट या विषाक्त खाद्य पदार्थ खाने की आशंका जताई जा रही है। कुछ ग्रामीणों का कहना है कि हाथियों द्वारा फसल नष्ट करने से परेशान किसानों ने जानवरों को दूर भगाने के लिए जहरीले पदार्थों का प्रयोग किया हो सकता है। हालांकि, मौत के असली कारण का पता पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही चलेगा।
स्थानीय मुखिया सुलोचना देवी ने वन विभाग पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा कि बार-बार सूचना देने के बावजूद कोई कदम नहीं उठाया गया। उन्होंने बताया कि पिछले एक माह में तीन ग्रामीणों की मौत हो चुकी है। उन्होंने कहा, “हथिनी की मौत के लिए पूरी तरह वन विभाग जिम्मेदार है।”
पूर्व में गज परियोजना के तहत चर्चित रही दलमा वाइल्डलाइफ सेंचुरी अब इको-टूरिज्म के नाम पर हाथियों के विस्थापन की गवाह बन रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि वन्यजीवों के प्राकृतिक आवास में मानवीय दखल ने उन्हें नए क्षेत्रों की ओर जाने के लिए मजबूर किया है।चिकित्सक डॉ. विष्णु शरण महतो ने प्रारंभिक जांच के बाद हथिनी के शव का पोस्टमार्टम किया। बाद में वन अधिकारियों की निगरानी में शव को दफना दिया गया। विस्तृत रिपोर्ट जल्द जारी की जाएगी