Health Insurance Policyholders IRDAI Changed The Rules: हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसीधारकों के लिए बड़ी राहत IRDAI ने बदले नियम
Health Insurance Policyholders IRDAI Changed The Rules: भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) ने हेल्थ इंश्योरेंस से जुड़े नियमों में बड़ा बदलाव किया है, जिससे हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसीधारकों को बड़ी राहत मिली है। अब इलाज के लिए पूरी तरह कैशलेस सुविधा का रास्ता साफ हो गया है, और पॉलिसीधारक किसी भी अस्पताल में इलाज करा सकते हैं, न कि केवल नेटवर्क अस्पतालों में।
IRDAI ने बीमा कंपनियों को निर्देश दिया है कि वे केवल नेटवर्क अस्पतालों तक ही कैशलेस सुविधा सीमित न रखें। अगर पॉलिसीधारक किसी गैर-नेटवर्क अस्पताल में भी इलाज करवाता है, तो कंपनी को कैशलेस क्लेम स्वीकार करना होगा। इसके अलावा, क्लेम रिजेक्शन, पॉलिसी रिन्युअल और डिस्क्लोजर से जुड़े नियमों में भी आम लोगों के हक में बड़ा सुधार किया गया है।
अब बीमा कंपनियों को निर्देश दिया गया है कि वे पॉलिसीधारकों को कैशलेस सुविधा प्रदान करें, चाहे वह किसी भी अस्पताल में इलाज करवाएं। इससे पॉलिसीधारकों को बड़ी राहत मिलेगी, और वे अपने इलाज के लिए किसी भी अस्पताल का चयन कर सकते हैं।
IRDAI ने बीमा कंपनियों को निर्देश दिया है कि वे क्लेम रिजेक्शन के लिए एक समिति का गठन करें, जिसमें तीन सदस्य होंगे। इस समिति द्वारा क्लेम रिजेक्शन का फैसला किया जाएगा, और पॉलिसीधारक को इसकी लिखित वजह बताई जाएगी। इससे क्लेम रिजेक्शन में पारदर्शिता बढ़ेगी, और पॉलिसीधारकों को अपने अधिकारों के बारे में पता चलेगा।
अब बीमा कंपनियों को निर्देश दिया गया है कि वे पॉलिसीधारकों की पॉलिसी को रिन्युअल करने से इनकार नहीं कर सकती हैं, सिर्फ क्लेम करने के आधार पर। अगर पॉलिसीधारक ने लगातार 5 साल तक पॉलिसी को रिन्युअल किया है, तो बीमा कंपनी उसे कवरेज से इनकार नहीं कर सकती है।
IRDAI ने बीमा कंपनियों को निर्देश दिया है कि वे बुजुर्गों, बच्चों और दिव्यांगों के लिए विशेष योजनाएं बनाएं। इससे इन वर्गों को स्वास्थ्य बीमा कवरेज में अधिक सुविधा मिलेगी, और वे अपने इलाज के लिए आसानी से बीमा का लाभ उठा सकते हैं।
IRDAI द्वारा हेल्थ इंश्योरेंस से जुड़े नियमों में किए गए बदलाव से पॉलिसीधारकों को बड़ी राहत मिली है। अब पॉलिसीधारक किसी भी अस्पताल में इलाज करा सकते हैं, और बीमा कंपनियों को क्लेम रिजेक्शन में पारदर्शिता बरतनी होगी। इससे पॉलिसीधारकों को अपने अधिकारों के बारे में पता चलेगा, और वे अपने इलाज के लिए आसानी से बीमा का लाभ उठा सकते हैं।