meeting Of Savarna Mahasangh Foundation:जमशेदपुर में सवर्ण महासंघ फाउंडेशन ऑफ इंडिया की झारखंड प्रदेश इकाई द्वारा आयोजित एक बैठक में सवर्णों की स्थिति पर चर्चा की गई। इस बैठक में फाउंडेशन के अध्यक्ष डी. डी. त्रिपाठी ने कहा कि आज के लोकतांत्रिक देश में सवर्ण जाति दोयम दर्जे का नागरिक बन चुकी है, जबकि इस जाति ने राष्ट्र के निर्माण में अहम भूमिका निभाई है।
सवर्णों की राजनीतिक और संवैधानिक भागीदारी की कमी
त्रिपाठी ने कहा कि सवर्णों की न तो राजनीतिक भागीदारी है और न ही संवैधानिक भागीदारी है। उन्होंने कहा कि किसी भी राजनीतिक दल में सवर्ण प्रकोष्ठ नहीं है और न ही देश में सवर्ण आयोग है, जो सवर्णों के हितों की रक्षा कर सके। त्रिपाठी ने कहा कि सवर्णों के पास तमाम गुण हैं, लेकिन उन्हें दबा दिया जाता है।
सवर्णों के योगदान को भुलाया जा रहा है
त्रिपाठी ने कहा कि सवर्णों ने राष्ट्र के आजादी के लिए पहली गोली खाई थी और पहली गोली चलाई थी, लेकिन आज उनके गौरवशाली इतिहास को दबाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अगर आज हमने इसे नहीं बचाया तो हमारे आने वाली पीढ़ी को अपनी संस्कृति बचाना भी भारी पड़ जाएगा। त्रिपाठी ने कहा कि सवर्णों को अपने अधिकारों के लिए लड़ना होगा और अपनी आवाज उठानी होगी।
बैठक में सवर्णों की स्थिति में सुधार के लिए कई सुझाव दिए गए, जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं।
सवर्ण आयोग की स्थापना करना: सवर्ण आयोग की स्थापना से सवर्णों के हितों की रक्षा की जा सकती है और उनकी समस्याओं का समाधान किया जा सकता है।
राजनीतिक दलों में सवर्ण प्रकोष्ठ बनाना: राजनीतिक दलों में सवर्ण प्रकोष्ठ बनाने से सवर्णों की राजनीतिक भागीदारी बढ़ सकती है और उनके हितों की रक्षा की जा सकती है।
सवर्णों के योगदान को इतिहास में उचित स्थान देना: सवर्णों के योगदान को इतिहास में उचित स्थान देने से उनके गौरवशाली इतिहास को बचाया जा सकता है और आने वाली पीढ़ी को अपनी संस्कृति के बारे में जागरूक किया जा सकता है।
सवर्ण महासंघ फाउंडेशन की बैठक में सवर्णों की स्थिति पर चर्चा की गई और उनके हितों की रक्षा के लिए कई सुझाव दिए गए। सवर्णों को अपने अधिकारों के लिए लड़ना होगा और अपनी आवाज उठानी होगी। सरकार और राजनीतिक दलों को भी सवर्णों के हितों की रक्षा के लिए कदम उठाने होंगे।