Ranchi: झारखंड के डीजीपी अनुराग गुप्ता के सेवा विस्तार
का मामला दिन-ब-दिन उलझता जा रहा है. अनुराग गुप्ता राज्य के पहले डीजीपी हैं,
जिनकी सैलरी बंद हो गई है.
डीजीपी को मई माह की सैलरी नहीं मिली
है. क्योंकि केंद्र सरकार उनको रिटायर मान रही है. जबकि राज्य सरकार की दलील है कि
उनको सेवा विस्तार दिया गया है. ऊपर से इस मामले को नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी
ने कोर्ट में चुनौती भी दे रखी है.
अब सवाल है कि क्या अनुराग गुप्ता को
बिना सैलरी लिए डीजीपी की कुर्सी पर बैठे रहना सही है. उनको लेकर केंद्र और राज्य
के बीच टकराव का असर किसपर पड़ेगा. नियम और नैतिकता के लिहाज से क्या होना चाहिए.
अनुराग गुप्ता के सेवा विस्तार पर
केंद्र की दलील
ऑल इंडिया सर्विस रुल के हवाले से
केंद्र सरकार का कहना है कि अनुराग गुप्ता का सेवा विस्तार गलत है. क्योंकि
सुप्रीम कोर्ट का स्पष्ट फैसला है कि डीजीपी पद की सेवा अवधि के लिए कम से कम छह
माह का कार्यकाल बाकी होना चाहिए. जबकि अनुराग गुप्ता को फरवरी 2025 में डीजीपी नियुक्त किया गया था. उनके
सेवानिवृत्ति की तारीख 30 अप्रैल
थी. 22 अप्रैल को ही केंद्रीय गृह मंत्रालय
की ओर से मुख्य सचिव को पत्र के जरिए बता दिया गया था कि अनुराग गुप्ता को
एक्सटेंशन नहीं मिलेगा.
नियम के तहत हुआ है सेवा विस्तार-
राज्य सरकार
वहीं राज्य सरकार का कहना है कि
अनुराग गुप्ता के सेवा विस्तार की नियमावली को कैबिनेट की स्वीकृति मिली है. उसी
के तहत सेवा विस्तार किया गया है. डीजीपी की नियुक्ति को लेकर 8 जनवरी 2025 को नया नियम बनाया गया है. उसके तहत अनुराग गुप्ता को डीजीपी के पद पर
नियमित पदस्थापन करते हुए 2 फरवरी 2025
को 02 साल के
लिए सेवा विस्तार दिया गया है. इस फैसले को नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने
कोर्ट में चुनौती है.
खास बात है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय
ने 22 अप्रैल को ही राज्य की मुख्य सचिव को
पत्र के जरिए सूचित कर दिया था कि 30 अप्रैल
को आईपीएस अनुराग गुप्ता सेवानिवृत्त हो जाएंगे. लेकिन राज्य सरकार के स्तर पर कहा
गया कि उनका सेवा विस्तार हो चुका है. जबकि केंद्र सरकार यह मानने को तैयार नहीं
है. वहीं प्रधान महालेखाकार कार्यालय के मुताबिक अनुराग गुप्ता 30 अप्रैल,2025 को ही सेवानिवृत्त हो चुके हैं. इसलिए मई माह का जीरो पे-स्लिप बना
है.