• 2025-05-24

Jharkhand State S First Tribal Museum: झारखंड राज्य का पहला ट्राइबल म्यूजियम जिसमें जनजातीय संस्कृति दिखेगा, दलमा में बन कर तैयार

Jharkhand State S First Tribal Museum: झारखंड राज्य का पहला ट्राइबल म्यूजियम जिसमें जनजातीय संस्कृति दिखेगा, जहां सरायकेला जिला के दलमा में बन कर तैयार हो गया है, इस म्यूजिकल में 14 गैलरी बनाई गई जिसमें 32 जनजाति जीवन के हर पहलू को दर्शाया गया, दलमा में घूमने आए विदेशी सैलानियों के बीच म्यूजियम आकर्षण का केंद्र बना हुआ, अब झारखण्ड कि आदिवासी संस्कृति देश विदेश में जानी जाएगी .


महुआ की मीठी सुगंध और बांस की मधुर ध्वनि के बीच शांत वातावरण, ट्राइबल म्यूजियम नहीं मानाें यह दलमा का ही काेई गांव हाे, आदिवासियों की समृद्ध संस्कृति, सभ्यता, रीति-रिवाज और परंपरा, यहां न सिर्फ देखने को मिलेगी, बल्कि आप इसे महसूस भी कर पाएंगे, दलमा में बने राज्य के पहले ट्राइबल म्यूजियम बन कर तैयार है .


म्यूजियम के ग्राउंड फ्लोर की 14 गैलेरी में प्रदेश की 32 जनजातियाें की संपूर्ण जानकारी मिल सकेगी, आदिवासी संस्कृति, जन्म से लेकर मृत्यु संस्कार, रहन सहन आदि जनजाति के आवास, सरहुल, करम व फगुआ पर्व जैसी विरासत, शिकार व कृषि उपकरण, वस्त्र व आभूषण, वाद्य यंत्र, धार्मिक जीवन, त्याेहार, परंपरागत तकनीक, सांस्कृतिक विरासत सहित यहां विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह काे जानने काे मिलेगा यहां शिकार उपकरण, कृषि उपकरण .
 lयह दूर-ड्रा से गांव से घूमने आए सैलानियों के बीच यह आकर्षण का केंद्र बना हुआ है, लोगों का कहना है कि जो भी आदिवासी संस्कृति हमारी युवा पीढ़ी बोलते जा रहे हैं, यहां आकर हमारी संस्कृति और अपने पूर्वजों की जानकारी यहां ले सकेंगे, किस तरह आदिवासी के कितने समाज होते थे, समाज के आदिवासी किस तरह अपना जीवन यापन करते थे, सैलानियों के बीच की आकर्षण का केंद्र बना हुआ है, यहां आने वाले लोग इस म्यूजियम में अपने पूरे परिवार के साथ सेल्फी लेते दिख रहे हैं, इस म्यूजियम को लोग काफी पसंद कर रहे हैं.

लोगों का कहना है कि इससे हमारे युवा पीढ़ी को आदिवासी संस्कृति की झलक और पहचान कि जानकारी मिलेगी, ट्राइबल म्यूजियम बड़े लोगों के साथ-साथ युवा पीढ़ी को भी खूब पसंद आ रहा है, अब इस ट्राइबल म्यूजियम से झारखंड के आदिवासी संस्कृति कि जानकारी देश-विदेश तक जाएगी, बाहर से आए सैलानी झारखण्ड कि संस्कृति को जान सकेंगे l
वन विभाग के डीएफओ ने बताया कि पूरे दलमा के जंगलों के बीच लगभग 136 गांव है, इन सभी गांव में 9 प्रकार की आदिवासी जनजाति समाज के लोग रहते हैं.
उन्हें सुरक्षित रखना और उन्हें रोजगार देने के लिए वन विभाग लगातार काम कर रहे हैं, ट्राइबल म्यूजियम का उद्देश्य यह है कि इन सभी 9 ट्राइबल समाज के लोगों की पहचान अन्य लोगों तक हो सके, इनके पूर्वज और उनकी संस्कृति को आने वाले युवा पीढ़ी को बता सके, मॉडल जवानी में युवा पीढ़ी अपनी पुरानी संस्कृति भूलते जा रहे हैं, जिसको लेकर ट्राइबल म्यूजियम में आकर अपनी पूर्वजों की संस्कृति युवा पीढ़ी बढ़ावा देने का काम करेगी .
पहले ट्राइबल म्यूजियम का वर्चुअल टूर असल सामग्रियाें का किया गया उपयाेग :म्यूजियम काे तैयार हाेने में 3 साल से अधिक का समय लगा, इसका मुख्य कारण आदिवासियाें पर रिसर्च और उनके उपकरण का संकलन है, म्यूजियम में औजार, उपकरण, वस्त्र व आभूषण, वाद्य यंत्र, बर्तन आदि असल है, जाे कि आदिवासियाें से दान में मिली है.
एकत्र करने के साथ इसे स्कैन कर आँनलाइन डिटेल्स बनाने में काफी समय लगा, जाे आर्टिफिशियल इफेक्ट दिए गए हैं, वह भी रियलिस्टिक लग रहे हैं, म्यूजियम काे पूरा नेचुरल लुक दिया गया है।

झारखंड में जनजातियों के नाम
संताल ,मुंडा ,उरांव खड़िया , गोंड कोल , कांवर : सबर ,असुर ,बैगा , बंजारा, बाथुडी बेदिया , बिंझिया : बिरहोर बिरजिया , चेरो , चिक–बड़ाइक , गोरैत, हो, करमाली , खरवार , खोंड , किसान (नगेसिया), कोरा, मुंडी–कोरा , कोरवा , लोहरा , महली , माल–पहाड़िया परहैया , सौरिया–पहाड़िया , भूमिज l