राजगंज: मजहब की दीवारें आज भी समाज के कुछ हिस्सों में इतनी ऊँची हैं कि प्रेम और रिश्ते उसके सामने बौने साबित हो जाते हैं। ऐसा ही एक चौंकाने वाला मामला झारखंड के सरायकेला-खरसावां जिले के राजगंज प्रखंड अंतर्गत डांगापाड़ा इलाके से सामने आया है, जहाँ एक परिवार ने अपनी इकलौती बेटी द्वारा दूसरे धर्म के युवक से विवाह किए जाने के विरोध में उसे ‘मृत’ मानते हुए उसकी मूर्ति का अंतिम संस्कार कर डाला।
जानकारी के अनुसार, 26 वर्षीय नेहा डे ने परिवार की इच्छा के विरुद्ध जाकर एक दूसरे धर्म के युवक से प्रेम विवाह कर लिया था। यह निर्णय उसके परिवार को स्वीकार नहीं हुआ। परिजनों का कहना है कि उन्होंने बेटी को काफी समझाने की कोशिश की, लेकिन जब उसने विवाह से पीछे हटने से इनकार कर दिया, तो उन्हें यह कदम उठाना पड़ा।
परिवार ने नेहा की एक मूर्ति बनवाई और शनिवार को पूरे रीति-रिवाजों के साथ स्थानीय श्मशान घाट पर उसका प्रतीकात्मक अंतिम संस्कार किया गया। पिता नारायण डे ने स्वयं ‘मुखाग्नि’ दी। उन्होंने कहा –
“हमने उसे अपने दिल की धड़कन की तरह पाला था। लेकिन उसने हमारे विश्वास और समाज की मर्यादाओं को तोड़ा है। हमारे लिए वह अब जीवित नहीं है, इसलिए उसका अंतिम संस्कार कर दिया।”
इतना ही नहीं, परिवार ने यह भी ऐलान किया कि अगले दिन घर में नेहा के नाम पर ‘श्राद्ध कर्म’ का आयोजन किया जाएगा, जिसमें रिश्तेदारों और परिचितों को आमंत्रित किया गया है। इस कर्मकांड में पिंडदान और अन्य धार्मिक विधियां भी पूरी की जाएंगी।
इस घटना ने पूरे इलाके में सनसनी फैला दी है। जहाँ कुछ लोग इसे पारंपरिक सामाजिक व्यवस्था का पालन मानते हुए परिवार के फैसले को सही ठहरा रहे हैं, वहीं अधिकांश लोग इसे कट्टरता और रूढ़िवादिता का क्रूर उदाहरण बता रहे हैं। समाज के प्रबुद्ध वर्ग ने इस पर चिंता जताई है और इसे एक जीवित इंसान की गरिमा और स्वतंत्रता के खिलाफ अमानवीय कृत्य कहा है।