• 2025-07-10

Dhanbad Breaking News: धनबाद के पूर्व सांसद ददई दुबे का निधन, शोक की लहर

Dhanbad Breaking News: धनबाद के पूर्व सांसद और झारखंड के वरिष्ठ कांग्रेसी नेता चंद्रशेखर उर्फ ददई दुबे का आज निधन हो गया। वे कुछ समय से अस्वस्थ चल रहे थे और दिल्ली में उनका इलाज चल रहा था। लंबे समय से सार्वजनिक जीवन में सक्रिय रहे ददई दुबे ने झारखंड और बिहार की राजनीति में एक खास पहचान बनाई थी।
वे वर्ष 2004 से 2009 तक धनबाद लोकसभा क्षेत्र के सांसद रहे और इस दौरान उन्होंने क्षेत्रीय विकास, श्रमिकों के अधिकार और कोयला क्षेत्र के सवालों को प्रमुखता से उठाया।
चंद्रशेखर दुबे तीन बार विधायक चुने गए थे. पहले बिहार विधानसभा और फिर झारखंड में विश्रामपुर से। अपने स्पष्ट वक्तव्य, तीखे तेवर और जनहितैषी राजनीति के लिए वे जाने जाते थे। राजनीति में उनके चार दशक लंबे सफर के दौरान उन्होंने विभिन्न दलों के साथ मिलकर भी काम किया, लेकिन उनका जुड़ाव कांग्रेस से सबसे स्थायी और मजबूत रहा।
उनके निधन पर कांग्रेस पार्टी और राजनीतिक गलियारों में शोक की लहर दौड़ गई है। पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने शोक व्यक्त करते हुए कहा कि “ददई दुबे न केवल एक कुशल और अनुभवी नेता थे, बल्कि वे ज़मीनी संघर्षों से निकले जननेता थे। उनके अनुभव और निर्भीकता ने पार्टी को बार-बार मजबूती दी।”
इधर, INMF (इंडियन नेशनल माइंस वर्कर्स फेडरेशन) के वरीय उपाध्यक्ष एवं राष्ट्रीय कोलियरी मजदूर यूनियन (एनसीएमयू) के महामंत्री ए.के. झा ने भी गहरी शोक संवेदना जताई है। उन्होंने सिटी लाइव से कहा, “ददई दुबे जी को हम केवल एक राजनेता के रूप में नहीं, बल्कि एक सच्चे श्रमिक मित्र और मार्गदर्शक के रूप में जानते हैं। कोयलांचल की खदानों में जब भी मजदूरों की आवाज़ दबाने की कोशिश हुई, ददई बाबू सबसे पहले आवाज़ उठाने वालों में थे। उन्होंने संसद के पटल से लेकर सड़कों तक, श्रमिक अधिकारों के लिए संघर्ष किया। जब-जब मजदूरों की छंटनी, वेतन में कटौती या सामाजिक सुरक्षा जैसे मुद्दे उठे, वे मजदूर संगठनों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े रहे।

उनकी जुबान में दम था, और दिल में पीड़ा, श्रमिकों की, दलितों की, ग़रीबों की। ददई जी का जाना न सिर्फ कांग्रेस पार्टी की क्षति है, बल्कि कोलियरी क्षेत्रों में संघर्षरत श्रमिक आंदोलन के लिए भी एक अपूरणीय क्षति है। हमने एक ऐसे नेता को खो दिया, जिसने कभी कोयला मजदूरों को अकेला नहीं छोड़ा।”

धनबाद, पलामू और रांची सहित पूरे झारखंड में कांग्रेस कार्यकर्ताओं और श्रमिक संगठनों ने श्रद्धांजलि दी है। उनके निधन से न केवल कांग्रेस पार्टी को, बल्कि झारखंड की जनसंघर्ष की राजनीति और श्रमिक आंदोलन को गहरी क्षति पहुँची है।